अभिजीत उवाच

संपत्सु महतां चित्तं भवत्युत्पल कोमलं।
आपत्सु च महाशैलशिलासंघातकर्कशम॥
भावार्थ :- *समृद्धि और सम्पन्नता के समय में सज्जन व्यक्ति कमल की भांति कोमल दयालु और शिष्ट होते हैं। परन्तु विपत्ति आने पर वही व्यक्ति चट्टान की भांति दृढ होते हैं।


@ अभिजीत राणे